जाहिर तौर पर जब बात राज्यों की आर्थिक स्थिति की होती है तो इसका असर राज्यों के विकास और आप आदमी के जीवन पर पडता है। लोकलुभावन राजनीति भी राज्यों की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करती है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2022 के अंत तक राज्यों का संयुक्त ऋण-जीडीपी अनुपात 31 प्रतिशत पर रहना अपेक्षित था जो 2022-23 तक हासिल किए जाने वाले 20 प्रतिशत के लक्ष्य से चिंताजनक रूप से अधिक है। रिजर्व बैंक की इस वार्षिक रिपोर्ट में राज्यों की वित्तीय स्थिति को लेकर कई गंभीर पहलु सवाल खड़े किए है। पंजाब, कर्नाटक, केरल, झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल सहित 20 से अधिक ऐसे राज्य हैं जो बढ़ते क़र्ज़ के बोझ तले दबे जा रहे हैं और इन राज्यों की अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुज़र रही है।
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